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Kota the smart city poem
_."Kota the memorable place._ …
गांव में कलयुग कभी पड़ोसी को, घर पर बुलाते अब सबको बुरा, लगने लगा है चला जा गुमनामी के घर पर मत जा उसकी, चौखट पर हर द्वार पर…
Read more_."रूठी किस्मत"._ जब जब नींदे टूटी, मैंने पाई किस्मत रूठी..!! एक राह मिली जीने को, कभी जहर मिला पीने को..!! एक प्यार♥…
Read more_."क्या फर्क पड़ता है..??"._ कोई परिंदा ज़िंदा है, कोई दरिंदा ज़िंदा है... चले जाओ कारगिल की घाटी में, अभी वो आवाज़ ज़िंदा है... चल…
Read more_."चले गए"._ वो आए थे, और चले गए..!! अपने भी समय के साथ बदल गए.. जो बद…
Read more_."Kota the memorable place._ When I move to Kota I got a room Chhota . There was not any …
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