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Chale gaye poem..

                                                

              _."चले गए"._

वो आए थे, 
और चले गए..!!

अपने भी समय के साथ बदल गए..
जो बदल ना सके वो नजरबंद कर गए..!!

इसीलिए अपने हौसलों पर चल...
मेरे बेटे.....
जो चला ना सके वो गिराते चले गए..!!

वो आयेंगे और,
चले भी जाएंगे..!!

फर्क पड़ना नहीं चाहिए था..
 कितने आए, कितने गए..
बात यादों की थी..
वरना पीछे मुड़कर तो नहीं देखना चाहिए था..??

वादा है मेरा.........
एक दिन मैं भी मिलूंगा ज़िन्दगी की दौड़ में..
अफसोस,.....
रेस से पहले वो,
मौत के साथ चले गए..

इस मतलबी दुनिया में....
कुछ अपने पराए हो गए.. 
 कुछ पराए अपने हो गए..
और क्या क्या कहूं मेरे वज़ीर ए आज़म..
अपनो ने छोड़ दिया..
पराए साथ चल दिए...

 

                   :- गौरव शाक्य

                                    05:07 pm

                             21 August 2020

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1 Comments

Kahiye janaab.!!