गांव में कलयुग
कभी पड़ोसी को, घर पर बुलातेअब सबको बुरा, लगने लगा हैचला जा गुमनामी के घरपर मत जा उसकी, चौखट परहर द्वार पर CCTV लगने लगा हैगांवों में भी कलयुग छाने लगा है
ना वो प्यार, ना वो दोस्तीसब कुछ, बिखरने लगा हैवो गांव में एक, पेड़ के नीचेरहते थे घंटों, एक दोस्त के पीछेअब तो वो पेड़ भी सोने लगा हैगांवों में भी कलयुग छाने लगा है
दो खेतों में, एक मेढ़ के पीछेभाई भाई को, चुभने लगा हैएक माली को, पेड़ो सेऔर हल को अपने, बैलों सेअब तो बहुत कुछ, बिछुड़ने लगा हैगांवों में भी कलयुग छाने लगा है
पहले हर घर में, मंदिर बने थेअब तो भजन भी कम, होने लगा हैसाधु संत भी, करें तो करें क्याघरों में रक्त, और मंदिर में भक्तढोंगियों का खुलासा, होने लगा हैगांवों में भी कलयुग छाने लगा है
कुछ लहर सा, बहने लगा हैऔर जहर सा, बरसने लगा हैमत रह, आशियानों के शहर मेंकौन रहेगा इस, बिखरते कहर मेंहर घर में पहरा, लगने लगा हैगांवों में कलयुग छाने लगा है
07:50 pm
10/11/2020
1 Comments
You make my day..!!🔥🔥💥
ReplyDeleteKahiye janaab.!!