हो नहीं सकता
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मैं लिखना तो चाहता हूं,
राज़ मेरे हंसते चेहरे का,
बात जो आए आंखों पर,
मैं कहानी लिख नहीं सकता।
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मैंने चलना तो चाहा है,
ज़माने के उसूलों पर,
मगर बनावट के उसूलों पर,
मैं खुद को रख नहीं सकता।
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हजारों मील चलकर के,
गिरा शहरों की गलियों में,
मगर वो छोटा गांव मेरा,
उसे मैं भूल नहीं सकता।
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कानूनें रस्म निभा करके,
बना लो कातिल को इंसाँ,
खुदा की रस्मों के आगे,
वो इंसाँ बन नहीं सकता।
..
मैंने देखा है किस्मत को,
उलझती है विचारों से,
विचारों के सितारों को,
मैं खुद मोड़ नहीं सकता।
..
मैं कहता सर्द रातों से,
तुझे क्या गर्व जाड़ों का.?
अंधेरी रातों में जाकर,
मैं सूरज ला नहीं सकता।
..
सुकून है रातों में अब तो,
भले आंखों में पानी हो,
छुपा कर दुनिया से आंखें,
अकेले रो नहीं सकता.?
..
यादें जन्म से मरने तक,
कभी होती नहीं छोटी,
देह वो छोड़ जाता है,
खुद ले जा नहीं सकता।
..
मैं रोता हूं अकेले में,
याद कर दादा की बातें,
मगर उन खोए लम्हों को,
मैं बाहों भर नहीं सकता।
..
रात में याद आते हैं,
वो पल जो बीते संग उनके,
मुझे वो याद करना है,
सवेरा टल नहीं सकता.?
: Gaurav Shakya
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Kahiye janaab.!!