पुराना दौर
Gaurav $hakya
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सामना किस किस से होगा, चेहरे बदल गए सबके..
पुराना दौर नहीं है अब, ज़माने संभल गए कबके..
कभी सोते पेड़ की छांव, कभी मां की गोद में सिर था..
आज सब याद आया है, कि हम तो निकल गए सदके..
स्वर्ग ही गांव था पहले, नहीं थे महल बड़े कद के,
सभी में प्रेम था काफी, किसान न बैल पे भड़के ..
गांव सुनसान लगता है, बस लिए शहरों में जाकर..
वो शहर को जाने वाले भी, फिसल गए बोझ में दबके,
बदल गए लोग जब सारे, सबकी बदल गईं सड़कें,
याद कर बचपन की यादें, आंसू आने को तड़पें,
कहेगा कौन किसी की उल्फत में, कि ठहरो और बढ़ो आगे,
गांव में बुजुर्ग बचे हैं अब, कमाने निकल गए लड़के।
मछली पानी में होकर, जमीं पर आने को फड़के,
पता है मौत है ऊपर, दिल भी जाने को धड़के,
ये फितरत तो सारे जहां की है मियां,..
जिसे वो पा नहीं सकता, उसी का होने को तड़पे..!!
Thank you
❤️
Gaurav Shakya
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Kahiye janaab.!!